By | June 27, 2023

Bhabhi ki Chudai ki kahani: हेलो दोस्तों, मेरा नाम रमेश है. मेरी उम्र 32 साल है. और मैं रुद्रपुर का रहने वाला हु. मेरी ये कहानी मेरी बहु और माँ के साथ बने रिश्ते की है.मेरे घर में हम 5 लोग रहते है.

मैं मेरी माँ मेरा भाई उसकी बीवी और उसका 1 साल का बेटा. पापा को मरे कई साल हो चुके है. तब से घर को मैं और भाई ही चला रहे है.

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मेरी भी शादी हुई थी. मगर मेरी बीवी अपने पुराने यार के साथ भाग गयी.मैं देखने में ज्यादा अच्छा नहीं लगता हु. दिखने में बिलकुल नार्मल हु. मगर चुदाई की इच्छा मेरे अंदर भी बहुत है. जिसे मैं रंडियो के पास जाके पूरी करता था. मगर रंडिया वह मज़ा नहीं देती थी जो घर की औरते देती है.

हमारा घर ज्यादा बड़ा नहीं है. 2 कमरे बैठक और बहार की साइड एक परचून की दुकान है. जिसे मैं चलता हु.

मेरी माँ का नाम शकुंतला है. और उनकी उम्र 56 साल के आस पास है. सर के कुछ बाल सफ़ेद जरूर हो गए है. मगर अभी भी वह जवान लड़कियों को मात देती है.

माँ की गांड देखकर मेरा भी लंड उन्हें सलामी देता है. और मैं अपनी माँ का दीवाना हु.

मैंने शुरू से माँ को बिना कपडे के देखा है.और तब से मेरे अंदर उनके लिए एक अलग भावना है. Bhabhi ki Chudai ki kahani

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मगर मैंने आज तक कुछ गलत नहीं किया. क्युकी मैं डरता था. माँ का फिगर 40-34-42 है. ऐसा फिगर देखकर भी अगर किसी का लंड खड़ा न हो. तो वह मर्द कहलाने के लायक नहीं है. अपनी माँ को सपने में कई बार चोद चूका हु. मगर हकीकत में हिम्मत नहीं होती है.
मगर फिर हमारे घर में वह औरत आयी. जिसकी वजह से मेरा पुराना सपना सच हो गया. वह औरत कोई और नहीं मेरे भाई की बीवी है.

मेरी बीवी के भागने के बाद माँ मेरी फिर से शादी करना चाहती थी. मगर मुझे ही बीवी नाम से नफरत हो गयी थी. तब मैंने अपनी माँ से कहा की विकास (मेरा भाई) की शादी कर दो.

माँ भी मान गयी. और मेरे छोटे भाई की शादी कर दी. मेरे भाई की बीवी का नाम रेशमा है. उसकी उम्र 26 साल है. रेशमा का फिगर भी काफी अच्छा है. और जब वह माँ बनी तब तो जैसे उसके यौवन पूरा खिल गया. रेशमा का फिगर का 36-32-40 है. जिसे देखकर भी मेरा लंड सलामी देता था.


टाइम ऐसे ही निकल रहा था. अब मैं अपनी माँ और भाई की बीवी को घूरता था. जब भी रेशमा मेरे सामने आती. मेरी नज़र उसकी बड़ी बड़ी चूचियों और उसकी बलखाती कमर पर होती थी.

मैं हर रोज यही सोचता था. काश ये मुझे मिल जाये. तो इसे चोद चोद के पागल कर दूंगा. मगर मुझे नहीं मालूम था. मेरे 2 अधूरे सपने जल्दी ही पुरे होने वाले है.जब भी रेशमा छत पर अपने कपडे डालके आती थी. उसके बाद मैं भी ऊपर जाके उसकी ब्रा पेंटी देखता था Bhabhi ki Chudai ki kahani


रेशमा की पेंटी को लेके सूंघता था. रेशमा दिखने में बिलकुल सिंपल है.मगर वह पेंटी व् शेप वाली पहनती थी. जिसे देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता था. मैं ब्लाउज के आर पर उसकी ब्रा भी देखता था.

जो मुझे बहुत सुकून देती थी.मगर रेशमा ने मुझे आज तक कोई भाव नहीं दिया. मगर वह ये बात जानती जरूर थी की मैं उसे देखता हु. वह हमेशा मुझे दुकान के अंदर चाय देने आती थी.

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मैं भी चाय लेते टाइम उसके हाथ को छू लेता था. रेशमा की जवानी देख देखकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया था. अब मैं उसके लिए दिमाग से नहीं बल्कि आपने लंड से सोचने लगा था.

मैंने फैसला कर लिया था की मैं रेशमा को चोद के ही रहूँगा. सबसे पहले मैंने रेशमा की पेंटी गायब कर दी. और उसे अपनी दुकान में रख दिया. जिसमें कई बार मैंने अपना पानी निकला.

रेशमा ने पेंटी धुंडी जरूर होगी. और तब उसका शक सबसे पहले मेरी तरफ ही आया.

मैंने देखा रेशमा मुझे घूर के देख रही थी. मगर मैंने उसे देखकर स्माइल किया. रेशमा को देखकर मैं अपना लंड सहला देता था. और रेशमा की नज़र भी मेरे लंड पर जाती थी.

मगर उसने अभी तक मेरे भाई से ऐसा कुछ नहीं कहा था.और इस बात से मुझे और भी ज्यादा हिम्मत मिल रही थी.

एक दिन ऐसे ही दुकान में कुछ सामान रख रहा था. तभी रेशमा दुकान में चाय लेके आयी. मैं रेशमा के पीछे था.
रेशमा – भाई साहब ये चाय राखी है पी लेना. इससे पहले की रेशमा चली जाती.

मैंने जल्दी से उसकी कमर पकड़ ली. क्या मखमली मुलायम कमर थी. रेशमा ने एक दम से पीछे देखा. और मैंने उसे कमर पकड़ के साइड कर दिया.

रेशमा की आँखों में गुस्सा जरूर था. मगर उसने मुझे अभी भी कुछ नहीं कहा. और मैं उसकी आँखों में ही देखता रहा. रेशमा मुझे देखते देखते बहार चली गयी. मुझे किसी चीज का डर नहीं था.

माँ तो अपने पोते के साथ ही खेलने में लगी रहती थी. और अब मैं बिलकुल घूर के रेशमा की जवानी को ताड़ता था.और वह भी चोर नज़र से मुझे देखती थी. पता नहीं क्यों मगर मुझे लगने लगा था.

जैसे रेशमा भी मुझ पे नज़र रखती थी. मैं कभी उसकी कमर को पकड़ लेता था.तो कभी उसकी गांड पर हलके से हाथ फिर देता था. मगर रेशमा सिर्फ मुझे आँखे फाड़ के देखती रहती थी. Bhabhi ki Chudai ki kahani

जैसे उसे भी इस सब से मज़ा आने लगा था. मन में डर भी था. मगर खुसी भी थी. और अब मेरा लंड मुझसे कहने लगा था की रेशमा मेरा लंड लेने के लिए तैयार है. और जब इंसान लंड से सोचता है. तो उसे चुत मिल ही जाती है. दिन ऐसे ही निकल जाता था. मगर रात में ये लंड सोने नहीं देता था. बहार बैठक में मम्मी सो रही होती थी.

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जिनकी आते जाते उठी हुई गांड देखकर मन करता था.की रेशमा से पहले माँ की चुदाई कर दू. मगर डर भी लगता था. रेशमा के साथ मज़े लेते हुए. मुझे कई दिन हो गए थे.

अब मैं पूरी तरह से तैयार था.फिर ऐसे ही एक दोपहर रेशमा किचन में खाना बना रही थी. दोपहर का टाइम था. इसीलिए मैंने दूकान बंद कर दी थी. मम्मी अपने पोते के साथ बैठ कर टीवी देख रही थी.

मैं जब किचन में गया. तो रेशमा का धयान कही और था. इसीलिए मैं दबे पाँव अंदर आ गया. और फिर मैं हलके हलके उसके पीछे चला गया.मैंने देर किये बिना रेशमा को पीछे से पकड़ लिया. रेशमा ने कोई भी विरोध नहीं किया. मेरा खड़ा हुआ लंड रेशमा की गांड पर लग रहा था. और फिर मैं उसकी चूचिया दबाने लगा.

रेशमा चुप चाप खड़ी हुई थी. वह मुझे कुछ नहीं कह रही थी. लगभग 50 सेकंड में ऐसे ही मज़े ले रहा था. फिर पता नहीं एक दम से रेशमा को क्या हुआ. उसने मुझे धक्का दे दिया. और वह बोल पड़ी.

रेशमा – ये क्या कर रहे है भाई साहब? मैं आपके भाई की बीवी हु. आपकी बहु हु और आप ये सब कर रहे है. आप चले जाए यहाँ से वरना मैं इनको सब बता दूंगी, रेशमा का ये रूप देखकर में जल्दी से किचन से भाग गया.

मुझे तो समझ नहीं आया की मज़े लेते लेते रेशमा को क्या हो गया. जो वह एक दम से बदल गयी.

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ये तो अच्छा हुआ. उसकी आवाज ज्यादा उचि नहीं थी. वरना माँ सब सुन लेती. मेरी तो अंदर तक गांड फट गयी थी की कही रेशमा मेरे भाई को सब बता न दे.शाम को मैं दुकान खोल के बैठ गया.

मगर मैं अंदर से बहुत डरा हुआ था. तभी शाम की चाय लेके रेशमा आयी. जैसे ही वह अंदर आयी. मेरी नज़र तो उसकी बलखाती कमर पर गयी. रेशमा का पूरा पेट खुला हुआ था. चिकना मुलायम पेट और उसकी गहरी नाभि देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया. रेशमा ने चाय राखी

.रेशमा – चाय पे लीजिएगा भाई साहब वरना ठंडी हो जाएगी. रेशमा मेरी आँखों में देखकर जाने लगी. और उसकी आँखों में वह मस्ती मुझे फिर से दिखने लगी. वह मुझे ऐसे देख रही थी. जैसे कुछ हुआ ही नहीं था.

मेरे मन में कई सवाल थे. जिनके जवाब मेरे पास नहीं थे. शाम को मेरा भाई भी आ गया. और फिर रात में सबने खाना खाया. मगर रेशमा ने मेरे भाई से कुछ भी नहीं कहा.मैं समझ गया था.

रेशमा सिर्फ ड्रामा दिखा रही थी. अगर उसे कुछ कहना या करना होता. तो वह पहले ही कर देती. अब मेरे मन ने ठान लिया की आज मैं रेशमा की चुदाई करके ही रहूँगा. Bhabhi ki Chudai ki kahani

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अगली रोज सुबह से मैं रेशमा को और वह मुझे ताड़ रही थी. दोपहर होते ही मैंने दूकान बंद कर दी. और आके खाना खाने लगा. उसके बाद मैं अपने कमरे में चला गया.और इंतज़ार करने लगा की बस माँ सो जाये. और कुछ देर बाद माँ भी सो गयी. मैं दबे पैर रेशमा के कमरे में गया.

रेशमा बेड पर लेटी हुई थी.किसी के आने का डर नहीं था. इसीलिए उसने अपनी साड़ी निकाल दी थी. रेशमा की गांड पेटीकोट में उभरी हुई दिख रही थी. और मेरा लंड उसे देखते ही खड़ा हो गया.

मैं चुपके से जाके उसके बगल में लेट गया. रेशमा की गांड अभी भी मेरी तरफ थी. मैंने हलके से रेशमा की गांड पर हाथ रखा. और उसे हलके हलके दबाने लगा. रेशमा वैसे ही लेटी हुई थी.

फिर मैंने रेशमा की कमर पर हाथ रखा. और फिर कमर से हलके हलके उसकी चूचिया दबाने लगा.आज रेशमा ने ब्रा नहीं पहनी थी. मैं रेशमा की चूचिया दबा रहा था. तभी एक दम से रेशमा उठके बेथ गयी.

रेशमा -आप यहाँ क्या कर रहे है भाई साहब? उस दिन मैंने आपको समझाया. मगर लगता है आपको समझ नहीं आता है. आज मैं आपके भाई को सब बता दूंगी.

रेशमा की आवाज सुनते ही मैंने आपने हाथ रोक दिया. मगर मैं डरा नहीं क्युकी कही न कही मैं जनता था. ये गुस्सा नकली है. मैंने रेशमा को नीचे लिटा दिया. और खुद उसके ऊपर आ गया.

रेशमा मुझे ही देख रही थी. और मैंने देर किये बिना अपने होंठ उसके होंठों पर लगा दिए. रेशमा मुँह इधर उधर कर रही थी. मगर मैंने उसका मुँह पकड़ा और उसके होंठों को चूसे लगा.कुछ देर रेशमा नाटक दिखती रही. और मैं भी उसकी चूचिया दबाते हुए. उसके होंठों को चुस्त रहा.

मैं – रेशमा क्यों नाटक दिखा रही है. मैं जानता हु तू भी इस सब का मज़ा ले रही है. वरना तू अभी तक मेरी हरकतों के बारे में मेरे भाई को बता चुकी होती.

मेरी बात सुनने के बाद रेशमा की अकड़ थोड़ी ढीली हो गयी. और मैंने भी उसके चेरे से हाथ हटा लिया. और इस बार जब मैंने उसे किश किया. तो रेशमा ने मुझे नहीं रोका.रेशमा और मैं एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.

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मैंने रेशमा का हाथ अपने कच्छे में डाल दिया और इस बार रेशमा ने मेरा लंड पकड़ लिया. रेशमा का हाथ लगते ही मेरा लंड और ज्यादा टाइट हो गया. रेशमा अब अपना वह रूप दिखा रही थी.

जो मैं इतने दिन से देख रहा था. वह मेरे लंड को आगे पीछे कर रही थी. मैंने रेशमा को अपने ऊपर बिठा लिया. अब मैं नीचे लेटा हुआ था. और रेशमा मेरे पेट पर बैठी थी. रेशमा मेरा लंड सहलाते सहलाते बोली. Bhabhi ki Chudai ki kahani

रेशमा – आप तो बड़े डरपोक निकले भाई साहब. मैंने एक बार आपको डाट क्या दिया? आप तो डर गए.

मैं – तुम बोली ही ऐसे थी की मैं क्या कोई भी डर सकता है. वैसे भी अपनी इज़्ज़त सबको प्यारी होती है.

रेशमा -बस भाई साहब मैंने भी इज़्ज़त के लिए वह सब कहा था.

मैं- तुम कहना क्या चाहती हो?

रेशमा – उस दिन जब आप ये सब कर रहे थे. तब मुझे भी सुकून मिल रहा था. मगर तभी मुझे लगा. जैसे की मम्मी जी आ रही है. इसीलिए मुझे वह ड्रामा करना पड़ा.

मैं -अच्छा तो तुम मम्मी के डरके मारे वह सब कह रही थी.

रेशमा -हा भाई साहब वरना मुझे आपके इस प्यार से कोई ऐतराज नहीं था. मैं जानती हु आपकी नज़र मुझपे बहुत टाइम से है.

मैं – वह रेशमा और मुझे लग रहा था की मैं ही तुम्हे खा जाने वाली नज़र से देखता हु. मगर यहाँ तो तुम भी चुपके चुपके मेरा शिकार कर रही थी.

रेशमा – मुझे भी इस घर में काफी टाइम हो गया है भाई साहब और मैंने भी देखा है. आप इस उम्र में भी अकेले रहते है. और अकेले इंसान को औरत की सबसे ज्यादा जरुरत होती है.

मैं – तुमने ठीक कहा रेशमा. अकेले इंसान को हर चीज की जरुरत होती है. और खासकर एक औरत की जरुरत ज्यादा होती है. वैसे आज तक तुमने मेरे भाई से कुछ नहीं कहा. क्या मेरा भाई तुम्हे खुस नहीं रखता है?

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रेशमा – मैं आपके भाई के साथ खुस हु भाई साहब. मगर जिस तरह आप मुझे देखते है. उस नज़र को मैं भी नहीं भुला पा रही थी. आपकी ये नज़र मुझे अंदर तक चीयर के रख देती है.

रेशमा की बाते सुनके मैं और भी पागल हो गया. मैंने रेशमा का ब्लाउज खोल दिया. और उसकी बड़ी बड़ी चूचिया बहार निकल आयी. मैं दोनों चूचिया पकड़ के दबाने लगा.और उसकी चूचियों से दूध टपकने लगा. जिसे मैंने चाट लिया. फिर मैंने रेशमा को नीचे लिटा दिया और रेशमा ने खुद अपना पेटी कोट निकाल दिया.

रेशमा की चुत पर छोटे छोटे बाल थे. जो और भी ज्यादा अच्छे लग रहे थे. मैंने अपनी ऊँगली चुत के दाने पर राखी. और उसे सहलाने लगा. रेशमा ने इस आनद से अपनी आँखे बंद कर ली.और मैं चुत सहलाते सहलाते उसकी चुत चाटने लगा.

रेशमा को भी मज़ा आ रहा था. और वह मेरे बाल सहला रही थी. रेशमा की चुत एक दम माखन थी. जिसे मैं चाट ता ही जा रहा था.मेरा मुँह रेशमा के चुत के पानी से गिला हो गया था. Bhabhi ki Chudai ki kahani

रेशमा – भाई साहब जो करना है. जल्दी से कर लीजिये. मम्मी का कुछ पता नहीं है. वह कभी भी आ जाती है.रेशमा का कहना बिलकुल ठीक था. माँ कभी भी आ सकती थी. इसीलिए मैंने जल्दी से अपना कच्छा निकाल दिया. और मेरा 7 इंच का लंड कूद के बहार आ गया.

रेशमा ने तुरंत मेरा लंड पकड़ लिया.रेशमा बहुत घूर के मेरा लंड देख रही थी. और फिर उसने बड़े प्यार से मेरे लंड पर एक किश किया. रेशमा ने मेरे लंड का सूपड़ा खोला. और उस पर अपनी जीभ फिर दी.मेरे पुरे शरीर में एक जहर झूरी सी दौड़ गयी. और रेशमा मेरे सुपडे पर ही अपनी जीभ फिर रही थी.

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फिर उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया. और उसे चूसने लगी.मगर उसने ज्यादा देर मेरा लंड नहीं चूसा. क्युकी माँ के आने का डर था. मैंने रेशमा की टाँगे पकड़ के फैला दी. तभी रेशमा बोल पड़ी.

रेशमा – भाई साहब बेड पर करने से आवाज होती है. कही मम्मी जी सुन न ले, रेशमा खुद बेड के नीचे आ गयी. और वह बेड पकड़ के झुक गयी. रेशमा की गांड मेरे सामने थी. और मैंने नीचे झुककर अपना लंड रेशमा की चुत पर लगा दिया.

लंड अंदर नहीं जा रहा था. इसीलिए रेशमा ने खुद मेरा लंड पकड़ा. और उसे अपनी चुत में थोड़ा डाल लिया. फिर मैंने धक्का लगाया. जिससे मेरा पूरा लंड अंदर चला गया.रेशमा के मुँह से अह्ह्ह की आवाज आयी. ये उस मज़े का शब्द था. जो एक नया लंड मिलने से रेशमा के मुँह से निकला था. बच्चा होने से रेशमा की चुत खुल चुकी थी.

इसीलिए उसे मेरा लंड लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही थी. रेशमा बेड पर झुकी हुई थी और मैं उसकी कमर पकड़ के चुदाई कर रहा था.

रेशमा ने मेरा हाथ पकड़ के अपनी चूचियों पर रख दिया मैं रेशमा की चूचिया मसलने लगा और वह भी मज़े से अह्ह्ह उम्म्म ममम करने लगी.

मैं रेशमा के ऊपर झुक कर उसकी पीठ चाटने लगा. और उसकी पीठ पर काटने लगा.

रेशमा – भाई साहब काटिये मत. वरना आपके भाई को मुझपे शक हो जायेगा की मैं किसी और के साथ भी मज़े कर रही हु.
मैं रेशमा की बात मान गया. और अब मैंने अपना लंड निकाल लिया. रेशमा की चुत बहुत गीली थी. जिससे मेरा लंड चमक रहा था. मैंने रेशमा को बेड के कोने पर लेटने को कहा.

रेशमा – भाई साहब इससे आवाज होने लगेगी.

मैं- तू चिंता मत कर रेशमा.

मैं हलके हलके धक्के लगाऊंगा.रेशमा बेड के कोने पर लेट गयी और खुद अपनी टाँगे खोल ली. मैंने भी जल्दी से अपना लंड डाल दिया. मैं हलके हलके धक्के लगाने लगा.

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मैं पूरा लंड बहार निकलता और फिर उसे अंदर डाल देता. कई बार जब लंड अंदर जाने को बजाये. ऊपर की तरफ चला ता. तो रेशमा की चुत के दाने पर रगड़ लगने से उसे और भी ज्यादा मज़ा आता.

मैं चुत के दाने को सहलाते हुए. लंड अंदर बहार करने लगा. और रेशमा बेड पर तड़पने लगी. और जल्दी ही उसका पानी निकल गया. मैं थोड़ा रुक गया.और फिर रेशमा ने मेरी आँखों में देखा.

उसकी आँखे गुलाबी सी हो गयी थी. जो एक अच्छा चरमसुख के बाद हर औरत की हो जाती है. रेशमा ने मेरी गर्दन में हाथ डालके. मुझे अपने आप से चिपका लिया.और हम दोनों के नंगे शरीर रगड़ने लगे.

मैं भी धक्के मारता रहा और जल्दी ही में भी झड़ने वाला था, शायद इसका अहसास रेशमा को भी हो गया था.

रेशमा – भाई साहब अपना पानी बहार ही निकल देना. अभी मैं सेफ दिनों में नहीं हु.मैं ऐसे ही धक्के लगता रहा और जैसे ही मेरा पानी निकलने वाला था. रेशमा ने मेरा लंड बहार निकाल दिया. और खुद उसे आगे पीछे करके. सारा पानी अपने पेट पर निकाल लिया.

हम दोनों ही हाफ रहे थे और मैंने कपडे से सारा पानी साफ़ कर दिया. रेशमा की चुत का छेद खुला हुआ दिख रहा था.

मैं चुत पर फिर से लंड रगड़ने लगा. Bhabhi ki Chudai ki kahani

रेशमा – क्या बात है भाई साहब? अभी भी मन नहीं भरा क्या?

मैं – जब हुसैन तुम्हारे जैसा हो. तो मेरा क्या किसी का भी मन नहीं भरेगा. काश हम दोनों खुल के मज़े कर पाते.

रेशमा – हा भाई साहब मन तो मेरा भी भरा नहीं है. काश हमें और भी ज्यादा टाइम मिल पता. मगर सच कहु तो मैं आपके साथ इतना टाइम बिता के भी खुस हु.

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रेशमा न मारा लंड पकड़ लिया और उसे आगे पीछे करने लगी. रेशमा की आँखों में साफ़ दिख रहा था की उसे मेरा लंड पसंद आ गया था. और वह उसे छोड़ना नहीं चाहती थी.

रेशमा – भाई साहब जल्दी से कपडे पेहेन लीजिये कही मम्मी जी न आ जाये, मैंने जल्दी से कपडे पेहेन लिए और फिर रेशमा ने भी ब्लाउज और पेटीकोट पेहेन लिया. मैं रेशमा को पकड़ के किश करने लगा और वह भी मेरे होंठों को चूसने लगी.

फिर मैं अपने कमरे में आ गया. आज मैं बहुत खुस था. मेरे लंड को मेरे ही घर की चुत नशीब जो हुई थी. फिर मैं थोड़ी देर के लिए सो गया.और शाम को उठके दूकान खोल के बैठ गया. कुछ देर बाद रेशमा मेरे लिए चाय लेके आयी. उसका चेरा एक दम खिला खिला लग रहा था. रेशमा मुझे देखकर हसने लगी. और चाय रखकर जाने लगी. तभी मैं उसे बड़े रैक के पीछे ले गया. ये रैक सामान रखने के लिए है. और इसके पीछे बड़ा सामान रखा है.

रेशमा – क्या कर रहे है भाई साहब? कोई आ गया तो.

मैं – रेशमा तू डरती बहुत है. यहाँ कोई नहीं आता है, रेशमा ने चाय की प्लेट साइड में रख दी. और मुझे किश करने लगी.

मैं भी उसके होंठों को चूसने लगा. मेरा हाथ रेशमा की गांड पर था. रेशमा की गांड दबाते ही मुझे पता चल गया की उसने पेंटी नहीं पहनी है.

मैं – क्या बात है।

रेशमा – आज तुमने पेंटी नहीं पहनी है.

रेशमा – बस भाई साहब मन नहीं हुआ, इसीलिए नहीं पहनी है.रेशमा ने मेरे कच्छे में हाथ डाल दिया और मेरा लंड सहलाने लगी. रेशमा ने उसे बहार निकल लिया और मैंने रेशमा को नीचे बिठा दिया.

रेशमा ने भी देर किया बिना मेरा लंड मुँह में ले लिया. मैं वही एक बोरी पर बैठ गया. और रेशमा मेरा लंड चूसने लगी. रेशमा गप गैप मेरा लंड चूस रही थी. तभी माँ की आवाज आ गयी.

रेशमा – भाई साहब अगर मम्मी जी नहीं होती. तो हम दोनों खुल के ये सब कर सकते थे, रेशमा की बात तो सही थी. मगर मुझे क्या मालूम था की जल्दी ही माँ ही हमारी सबसे बड़ी मददगार बनेगी.

मेरा और रेशमा का चक्कर अच्छे से चल रहा था. मौका मिलते ही मैं उसे चोद देता था.और रेशमा भी कोई कसर नहीं रखती थी. कभी दुकान में तो कभी उसके कमरे में हम लोग बहुत चुदाई करते थे. मगर हमारी इसी जल्द बाज़ी ने सब बदल दिया.

माँ की नज़र हमपे पढ़ चुकी थी. और ऐसे ही एक दोपहर को जब मुझे लगा की माँ सो चुकी है. तो मैं अपनी दुकान में जाके रेशमा का इंतजार करने लगा.

कुछ देर बाद रेशमा आ गयी. और हम दोनों एक दूसरे को चूमने चाटने लगे. रेशमा अब बिलकुल खुल चुकी थी. मेरे भाई से ज्यादा वह मेरे लंड की सवारी करती थी. चूमा चाटी करते हुए. हम दोनों लेट गए.

रेशमा ने अब पंतय पहनना छोड़ दिया था. ब्रा भी वह सिर्फ इसीलिए पहनती थी. ताकि मम्मी उसे कुछ न कहे. दोपहर में हमें किसी का डर नहीं था.इसीलिए हम पुरे नंगे होकर एक दूसरे को सुख दे रहे थे. रेशमा की चुत में वाकई बहुत गर्मी है. रेशमा को बस छू भर लेने से उसकी चुत गीली हो जाती थी.

मैंने अपना लंड रेशमा चुत में डाल दिया. और उसकी चुदाई करने लगा. मेरा लंड रेशमा की चुत की गहराई नाप रहा था और वह भी इस चुदाई का मज़े ले रही थी. Bhabhi ki Chudai ki kahani

हम दोनों चुदाई में खो चुके थे. लगभग 30 मिनट चुदाई के बाद मैंने तेज तक धक्के लगा रहा था. रेशमा ने मुझे अपनी बाहो में पकड़ रखा था.और कुछ देर मे मेरा सारा पानी रेशमा की चुत के अंदर था. मैंने जैसे ही अपना लंड बहार निकला. तो रेशमा की चुत से पानी निकलने लगा. रेशमा और मैं दोनों हाफ रहा थे.तभी एक दम से माँ दरवाजा खोल के अंदर आ गयी. हम दोनों ही नंगे थे. और एक दम चौक के हम दोनों उठ गए. मम्मी की आँखों में गुस्सा था. और वह हम दोनों को छोड़ के बहार निकल गयी.रेशमा और मेरा हलक सुख चूका था.

रेशमा रोने लगी थी.

रेशमा – भाई साहब अब क्या होगा? मम्मी जी इनको सब बता देगी और ये तो मुझे मार ही डालेंगे, मेरी भी गांड फट रही थी. मगर मैं रेशमा को समझानेने लगा.

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मैं – रेशमा तू रो मत मैं मम्मी से बात करूँगा, वह किसी से कुछ नहीं कहेंगी.मगर रेशमा रोये जा रही थी. हम दोनों ने जल्दी से कपडे पेहेन लिए. और फिर हम लोग अंदर आ गए, मम्मी हम दोनों को ही घूर रही थी. मैं सीधे मम्मी के पास जाके बैठ गया.

मगर मुझे समझ नहीं आ रहा था की मैं क्या बात करू. मगर तभी मम्मी बोल पड़ी.

माँ – तू जा अंदर मुझे बहु से कुछ बात करनी है.

तो दोस्तो कैसी लगी ये लगी ये घर की कहानी आगे क्या हुआ ये मैं आपको अगले भाग 2 मे।

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6 Replies to “भाभी और माँ की चुदाई एक साथ”

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