Bhabhi Ki Chudaii: हैलो दोस्तो, यु तो ये कहानी बहुत लम्बी है लेकिन शार्ट में लिख रहा हु मेरी उम्र उस वक़्त 19 साल की ही थी और देखने में मैं मासूम और दुबला-पतला गोरा सा था जॉइंट फॅमिली थी।
हम लोगों की और मेरी शादी 19 का होते ही 18 साल की दीपा से कर दी गयी लेकिन गौना नहीं हुआ था यानी की दुल्हन घर नहीं आयी थी।
दोनों बड़े चाचा के तीनो लड़कों छोटे चाचा और बड़ी चाची की एक्सीडेंटल मौत से पूरा परिवार सदमे में आ गया और माँ की हड्डियां टूटने के कारण लकवा ग्रस्त हो कर बिस्तर पे पड़ गए, अब परिवार में मेरे अलावा बीमार माँ पिता जी 47 साल छोटी चाची, 45 साल के बड़े चाचा 47 साल तीनो भाभियाँ अंजू 33 साल बिना 21 साल, छाया 24 साल और उन तीनो के मिला कर 5 बच्चे थे,
जिनमे 3 लड़के और 2 लड़कियां थी, सबसे बड़े लड़के की आगे 4 साल दूसरा उससे 3 महीने ही छोटा था और तीसरा 1 साल का ही था, जब की दोनों बेटियां 3 साल और 2 साल की ही थी अंत्येष्टि और उसके बाद 12 दिनों के सारे काम पूरे होने बाद हमारे यहाँ के रीति-रिवाज़ के मुताबिक भाभियों की उनके बच्चो की सुरक्षा का ज़िम्मा और पालन पोषण की ज़िम्मेदारी मुझे ही उठानी थी।
इसके लिए उन तीनो भाभियों की शादी का दस्तूर मेरे साथ पूरा कर दिया और पिता जी की शादी छोटी चाची से कर दी गयी जो की एक औपचारिकता भर ही थी, यानी की विधवा का दाग ना रहे और बच्चों को बाप का नाम मिल जाये और उनका पालन पोषण हो जाये। Bhabhi Ki Chudaii
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किसी तरह का कोई कलंक नहीं लगा सके वर्ण विधवा औरतों पर अक्सर उँगलियाँ उठायी जाती है तो वो बदनाम हो जाती है पिता जी तो बीमार माँ के कमरे में ही सोते थे।
लेकिन अब छोटी चाची भी माँ की रात को देख भाल के नाम पे उस कमरे में ही सोती थी और तीनो ही भाभियाँ जो की मेरी पत्नी भी बन चुकी थी हम चारों एक ही कमरे में सोते और बच्चे भी बड़े चाचा अकेले ही अपने कमरे में सोते थे।
1 महीना हो चूका था कभी अंजू और कभी बिना मेरे शरीर को मालिश करती और अंजू बिना और छाया मेरा बहुत ही विशेष ख़याल करती।
मैं उन तीनो को ही भाभी की दृष्टि से ही देखता था लेकिन मुझे मना कर दिया गया की मैं उनको भाभी न बोलू उलटे अब वो तीनो रोज़ ही मेरे पेअर भी छूती थी।
मेरा 12 वी का रिजल्ट आ गया था और मुझे आगे की पढ़ाई के लिए टाउन में जा कर रहना था और पिता जी मुझे अकेले नहीं छोड़ना चाहते थे और साथ में किसी एक भाभी को भेजने का मतलब उनको डर था की कही अकेले पा कर दोनों बहक गए तो पढ़ाई से मेरा मन उखड जायेगा और वैसे भी भाभियाँ बहुत बड़ी थी उम्र में इसलिए उनके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाना गलत होगा।
यही सब की सोच थी और भाभियों की यही समझा भी दिया गया था 1 महीना हो चूका था और रात को तीनो ही भाभियाँ मेरे ही रूम में सोती थी,
मैं थोड़ा अलग हट के ही सोता था लेकिन कई बार ही तीनो भाभियाँ जब अपने-अपने बच्चो को दूध पिलाती थी तो उनके बूब्स की झलक मुझे मिल जाती और उन तीनो का गोरा पेट भी दी।
सब देख कर मेरे मन में कुछ-कुछ अजीब से ख्यालात आते जब की मैं सिर्फ पढ़ाकू और सीधा ही था पिता जी और बड़े चाचा ने निर्णय किया की मैं टाउन तो जाऊंगा लेकिन मेरी देख भाल के लिए साथ में अंजू और उसके दोनों बेटे बिना और उसका बेटा-बेटी जायेंगे और मेरा गौना भी होगा ताकि छाया भी साथ जा सके।
टाउन में अपना ही एक घर था इससे मेरा ख़याल और देख भाल भी रहेगा और मैं कोई गलत चक्कर में भी नहीं फसूंगा जब की मैं चाहता था हॉस्टल में ही रह लू । Bhabhi Ki Chudaii
मगर किसी ने मेरी नहीं मानी, गाओं से जाने से 3 दिन पहले मैं रात को पेशाब करने उठा तो कुछ आवाज़े सुन कर पिता जी के रूम में झाँका मैंने देखा पिता जी और छोटी चाची में चुदम -चुदाई हो रही थी।
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उन दोनों की चुदाई पहले से ही शुरू थी इसलिए 10 मिनट में ही पूरी भी हो गयी, पहली बार मैंने चुदाई का खेल देखा था इससे पहले 2-1 बार वीडियो में देख चूका था अब मुझे पिता जी पे गुस्सा भी आ रहा था की उन्होंने पाप क्यों किया उनकी भी तो वो भाभी ही थी और रिवाज़ के मुताबिक सिर्फ औपचारिकता भर की शादी हुई थी।
फिर भी दोनों सेक्स कर रहे थे लेकिन मैं किसी को कुछ नहीं बोला, अगले 3 दिन तक रोज़ ही मैंने शामे नज़ारा देखा और उनकी बातें भी सुनी पिता जी का कहना था-
पिता जी: सोनू (मेरा नाम) की ही बीवियां है तीनो पढ़ाई के बाद चोदुगा भी तो क्या गलत है? है तो उसकी बीवियां ही लेकिन अभी 5 साल से पहले ऐसा किया तो तो ध्यान भी भटक जायेगा और बच्चा है तो सेक्स पावर भी ज़्यादा नहीं होगी।
पिता जी: और तीनो ही बहुएं ज़्यादा बड़ी है उम्र में तो अपने से ज़्यादा बुड्ढी को चोदेगा तो खुद भी बूढ़ा हो जायेगा।
मैं समझ गया की तीनो अब मेरी बीवियां ही थी चाहे मैं उनके साथ सेक्स करू या नहीं अगर किया भी तो गलत नहीं लेकिन परिवार वालो के विरुद्ध कोई नहीं जा सकता था और तीनो ही भाभियों को कसम दिला कर और चेतावनी भी दी गयी थी की वो मुझसे किसी भी प्रकार का शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाएंगी।
नहीं तो उनको घर से निकाल दिया जायेगा, पिता जी और छोटी चाची का भी रिश्ता वही था जो मेरा भी तीनो भाभियों के साथ था और पिता जी और छोटी चाची की आपस में चुदाई देख के मेरे मन में अलग-अलग विचार भी आ रहे थे।
मैं चारों बच्चो अंजू बिना और दीपा के साथ टाउन आ गया दीपा नयी नवेली थी तो डरी सेहमी हुई सी ही थी अंजू हटती-कटती थी और उसका गदराया हुआ लम्बा चौड़ा शरीर था जैसे की फिल्म एक्ट्रेस काजोल का है उसके बड़े-बड़े बूब्स थे जब की बिना की हाइट शार्ट थी लेकिन वो गोरी-चिट्टी और भरा-भरा सा ही शरीर था।
जब की दीपा दुबली-पतली थी और उसके बूब्स भी नीम्बू जितने ही बड़े रहे होंगे क्यूंकि वो सिर्फ 18 साल की ही थी वो दिखने में गोरी-चिट्टी तो थी लेकिन लड़कों जैसे ही दिखती थी।
दीपा को पढ़ने की भी इच्छा थी इसलिए मैंने उसके बाल कटवा दिए लड़को के स्टाइल में ही और कहा की वो लड़को वाले ही कपडे पहने वरना आस पड़ोस में नज़रे बुरी रहेंगी और उसके पास ही के एक सरकारी स्कूल में एडमिशन भी करा दिया जहा लड़के-लड़कियां दोनों ही थे।
दीपा अपने माईके में भी लड़कों की तरह ही रहती भी थी उससे बात-चीत भी लड़का समझ के ही हम सब करते थे और वो वो अब एक तरह से खुद को लड़का ही समझने लगी थी। Bhabhi Ki Chudaii
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15 दिन में ही हम सब काफी खुल गए अंजू बिना दीपा और बच्चो को फिल्म भी दिखाई मैंने शाम को पार्क में चले जाते थे हम कभी सरे एक साथ और कभी-कभी कुछ एक के साथ अंजू और बिना सुबह शाम रिलैक्स हो कर पेटीकोट ब्लाउज में ही रहती।
कई बार ही दोनों की नाभि के और दूध पिलाते वक़्त बूब्स के दर्शन भी होते उनकी नज़र में मैं तो मासूम ही था।
कई बार ही टीवी देखते समय हस्सी-मज़ाक बच्चो से खेलते समय और बात-चीत करते वक़्त अंजू के और बिना के पेट पे हाथ भी रख देता था मैं और वो लोग भी मेरे कंधे पे माथे पे हाथ रखती और गोद में सर रख के माथा दबा देती।
15 दिन हो चुके थे मैं अकेले ही कमरे में सोता था और गन्दी वीडियो और सेक्स स्टोरीज भी पढता था एक आईडिया आया और मैंने खुद की तबियत खराब का बहाना बना दिया।
यहाँ तक की रात को जान-बूझ कर नाटक किया बाहर निकलने का जिससे ये हो गया की मुझे नींद में चलने की आदत थी ये खबर पिता जी तक पहुंची तो उन्होंने अंजू को कहा की रात को वो मेरे पास ही सोये।
मैंने अंजू को मन किया और कह दिया: रात को मैं नींद में होश में नहीं रहूँगा तो शरीर टच करूँगा जिससे तुमको बुरा लगेगा इस बात को अंजू ने हस्स कर टाल दिया।
रात को अंजू मेरे कमरे में ही सोने आयी और मेरे बगल में लेट कर मेरा सर दबाने लगी मेरे पेट दर्द की शिकायत पे पेट पर भी हाथ फिर रही थी।
मैंने भी अंजू के गदराये हुए गोर और मुलायम पेट पे ही हाथ रख दिया और सोने की कोशिश की मेरा मुँह अंजू के बड़े-बड़े बूब्स से लग रहा था ब्लाउज के ऊपर से ही अंजू का 4 साल का बेटा आ गया और उसको जलन हुई की मैं उसकी मम्मी के बगल में सोया था और पेट पे हाथ रखा था। Bhabhi Ki Chudaii
तो बेटा मेरा हाथ हटाने के लिए लड़ने लगा वो हाथ एक जगह से हटाता तो मैं अंजू के पेट पे दूसरी जगह रख देता।
मैं उँगलियों से दबाता पेट को या थपकी मारता तो उसको लगता की मैं उसकी मम्मी को परेशां कर रहा था।
इस तरह से अंजू तो चुप-चाप पड़ी रही मैं उसके बेटे के साथ खेलने के बहाने से अंजू के पेट पे हाथ फिरता हुआ उँगलियों से भी दबा रहा था अंजू सीधी लेट गए थी उसका बेटा एक साइड से ब्लाउज ऊपर करके निप्पल चूसने लगा।
मैंने भी नींद का नाटक किया और हाथ रह-रह कर पेट पे ही घूमता फिर जब लगा की अंजू भी सो गयी थी तब धीरे-धीरे से अंजू का पेटीकोट नीचे खिसकता रहा।
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कुछ देर बाद मुझे सफलता मिल ही गयी अंजू की नाभि बाहर निकल गयी थी नाभि के ऊपर मैं उँगलियों से सहलाता रहा और धीरे से ऊँगली गहरी नाभि के अंदर डाली और रुक गया।
2 मिनट बाद अंजू ने धीरे से मेरी ऊँगली को नाभि के अंदर से निकाल दिया लेकिन हाथ पेट पे ही था अंजू ने ठीक से चेक किया और आश्वस्त हो गयी की मैं नींद में ही था।
फिर मैंने नींद में ही नाटक किया और उठ के बैठ गया और ऐसे रोने लगा की मानो मैं माँ को बीमार देख के रो रहा था अंजू समझी की मैं नींद की बीमारी में बोलने वाली ही हरकत कर रहा था और मुझे पुचकारते हुए उसने अपने सीने से लगा लिया।
अंजू का एक बूब खुला ही था क्यूंकि उसका बेटा दूध पी रहा था और अंजू सो गयी थी मेरा मुँह मखमल जैसे बड़े बूब्स से लग गया था और निप्पल होंठ पे थे और मैं सुबक रहा था। Bhabhi Ki Chudaii
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अंजू से लिपट के अंजू सोच रही थी की मैं नींद में ही था मेरे होंठो पे निप्पल सट्टे हुए थे जिनको मुँह में घुसा कर मैं चूसने लगा और मेरा सुबकना बंद हुआ।
फिर जैसे ही अंजू ने निप्पल बाहर निकला तो फिर से मैं सुबकने लगा तो अंजू ने मुझे रोका नहीं और मुँह में निप्पल डाल दिया और मैं अंजू के गद्दे-दार नरम पेट से लिपट कर निप्पल चूसता हुआ दूध पीता रहा और सो गया,
आधी रात को नींद टूटी तो मैंने फिर से नाभि के अंदर ऊँगली घुसा दी 1-2 मिनट बाद ही अंजू ने मेरी ऊँगली निकाल दी लेकिन अंजू का निप्पल मेरे होठ से ही सत्ता हुआ था और मैं अंजू से लिपटा हुआ ही था। Bhabhi Ki Chudaii
तो दोस्तो मैंने कैसे फिर भाभी की चुदाई की ये मैं आपको अगले भाग में।
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